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Dipration ka ilaj

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Dipration ka ilaj : जब आप खुद को ही खुद से अलग कर देते हैं तो यह लक्षण है डिप्रेशन का। यह एक ऐसी बीमारी है जो किसी को भी, कभी भी अपने घेरे में ले सकती है। कुछ लोग तो इस डिप्रेशन नामक बीमारी को झेल नहीं पाते हैं और आत्महत्या जैसे कदम उठा लेते हैं। इसकी लाख दवा भी लोग खा लें, लेकिन जब तक वह खुद इस बीमारी से निजात नहीं पाना चाहेंगे तब तक यह रोग भी उनका दामन नहीं छोड़ेगी। डिप्रेशन किसी बीमारी का नाम नहीं है और न ही यह कोई दिमागी फितूर होता है। यह एक ऐसी मानसिक हालत होती है, जिसमें इन्सान की सोचने समझने की शक्ति कम हो जाती है। वह किसी भी प्रकार का सही डिसीजन नहीं ले सकता। देखा जाए, तो डिप्रेशन ने एक बीमारी का रूप धारण कर लिया है जिसने बच्चों से लेकर बूढों को अपनी चपेट में ले लिया है। इसका मुख्य कारण होता ही दुःख। जब भी हम अधिक दुखी हो जाते हैं तो हम अपना मानसिक संतुलन खो देते है जिसके कारण हम डिप्रेशन के शिकार हो जाते हैं। हमें कई तरह के डिप्रेशन का सामना करना पड़ सकता है जैसे कि :- डिप्रेशन के प्रकार मेजर डिप्रेशन जब भी किसी का साथ अचानक छुट जाता है, तो आप इसे इमोशनल डिसऑर्डर

Signs of Miscarriage

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Signs of Miscarriage : undefined गर्भ गिरने की प्रक्रिया को गर्भपात कहते है और इंग्लिश मई इसे मिस्काररिएगे के नाम से जाना जाता है. यह परेशानी काम उम्र की महिलाओ मई ज्यादा पायी जाती है. दरअसल जब लड़की की शादी काम उम्र मई कर दी जाती है तोह काम उम्र मई महिलाओ का शरीर बच्चा पैदा करने के लिए तैयार नहीं होता है  जिससे माँ और बच्चे दोनों की जान को खतरा हो जाता है.इस तरह मिस्काररिएगे से बचने के लिए यह जरुरी है की हमें इसके लक्षणों के बारे मई पता हो क्युकी अगर हमें इसके लक्षणों के बारे मई पता होगा तोह हम इसके प्रति जागरूक रहेंगे और इससे बचने के लिए उपाय कर सकते है.  वैसे गर्भावस्था के स्टार्टिंग के ३ महीनो मई गर्भपात के केस सामने आते है लेकिन अगर अगले ३ महीने मई गर्भपात हो तोह ऐसे मई महिला की जान तक जा सकती है. इसलिए इसके प्रति सचेत रहना बहुत जरुरी है.इस तरह कई बार गर्भपात होने का कारण जानकारी की कमी होना भी है इस लिए आइये आज हम आपको यहाँ बताते है की गर्भपात होने के क्या-क्या लक्षण हो सकते है जिससे आप इसके प्रति अवेयर हो सके.  संकुचन महसूस होना: गर्भावस्था के स्टार्टिंग

Home Remedies for Asthma

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Home Remedies for Asthma : दमा श्वसन तंत्र का एक बहुत ही गंभीर रोग है. ये रोग आज के युग में बहुत अधिक लोगों में पाया जाने लगा है. सांस की इस बीमारी दमा के कुछ घरेलू उपचार मैं आज इस पोस्ट में बता रहा हूँ. लेकिन इससे पहले दमा के बारे में थोड़ी सी जानकारी ले लेते हैं. दमा के रोग के कारण : बहुत छोटे छोटे धूल के कण जीवाणु परागण प्रदूषण, और फंगस आदि दमा के रोग के मुख्य कारण हैं. दमा के रोग के लक्षण : सांस लेने में कठिनाई होना सांस की नालियों में सूजन होना कम रक्तचाप बेहोशी आना ये सभी दमा के रोग के लक्षण हैं. 1- दमा के लिए प्राकृतिक घरेलू उपचार  1 ग्लास दूध में 1 चम्मच शक्कर मिला लीजिये. इस दूध में 4 पीपल डाल लीजिये. अब इस दूध को गर्म कर लीजिये. इसे रोज़ाना सुबह शाम पीना चाहिये. इससे दमा का रोग ठीक हो जाता है. 2- दमा के लिए प्राकृतिक घरेलू उपचार  रोज़ाना गर्म पानी से 2 चुटकी हल्दी की फांकी लेनी चाहिये. इससे कफ़ वाला दमा ठीक हो जाता है. 3- दमा के लिए प्राकृतिक घरेलू उपचार  एक मध्यम आकार के प्याज़ का गूदा बना लीजिये. इस गूदे में 1 चम्मच शहद मिला लीज

Motapa Kam Karne Ke tarike

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तेजी से पेट कम करने के ये हैं जबरदस्‍त उपाए : Motapa Kam Karne Ke tarike :       लोगों को सेहतमंद व फिट रखने में उनके आहर की अहम भूमिका होती है। व्यस्त दिनचर्या के कारण लोगों की शारीरिक गतिविधि दिन प्रतिदिन कम होती जा रही है जिसकी वजह से ली गई कैलोरी फैट में तब्दील होकर आपके पेट के आस-पास के हिस्सों में नजर आने लगती है।          अक्सर लोग वजन कम करने में लगे रहते हैं। लेकिन सबसे अधिक जो समस्या आती है वो है पेट के आसपास की चर्बी को हटाना। क्या आप जानते हैं कुछ लोग मोटे नहीं होते लेकिन उनके पेट के आसपास काफी चर्बी जमा हो जाती है। पेट पर जमा फैट ना सिर्फ आपकी सेहत बिगाड़ता है बल्कि यह आपके लुक को भी खराब करता है। जानिए हमारे साथ पेट पर जमा चर्बी को कम करने के आसान व असरकारी उपायों के बारे में :- खाने के बाद पानी पीने से बचें :                              अक्सर देखा गया है कि खाना खाने के बाद लोग ढेर सारा पानी पी लेते हैं जो कि पेट निकलने की मुख्य वजहों में से एक है। खाने के अन्त में पानी पीना उचित नहीं, बल्कि एक-डेढ़ घण्टे बाद ही पानी पीना चाहिए। अगर आपको ज्यादा प्यास लग र

tulsi ke fayde or nuksan

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तुलसी का वैज्ञानिक नाम ओसीमम बैसिलिकम  (Ocimum basilicum)  है। तुलसी के पत्तों से गुर्दे  (Kidney)  की पथरी, मुहांसों  (Acne) , बुखार और जुखाम आदि समस्याओं में लाभ मिलता है। तुलसी के फायदे तुलसी के रस को थोड़े शहद के साथ सेवन करने से गुर्दे  (Kidney)  की पथरी में लाभ मिलता है। तुलसी के पत्तों की चाय बनाकर सेवन करने से सर दर्द में राहत मिलती है। तुलसी का रस त्वचा की सुजन और जलन के लिए लाभदायक होता है। तुलसी के रस को मुहांसों  (Acne)  पर लगाने से लाभ मिलता है। तुलसी के चूर्ण में सरसों का तेल मिलाकर उससे मंजन करने से पारिया और मसूड़ों के विकार दूर होते हैं। नियमित तुलसी के पत्तों का सेवन करने से शरीर की रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ती है। तुलसी के पत्तों को गर्म पानी में उबालकर सेवन करने से मलेरिया और डेंगू जैसे रोगों से बचाव होता है। बुखार और जुखाम में तुलसी के पत्तों का सेवन करना लाभप्रद होता है। तुलसी के नुकसान गर्भावस्था और स्तनपान कराने वाली महिलायों के लिए तुलसी का सेवन करना हानिकारक होता है। तुलसी की अधिक चाय का सेवन करने से सीने में और पेट में जलन की समस्या हो स